हमको क्षमा करें


हे नकुल देव ढीढी जी 
हम कौन हैं?
जो मौन हैं
हम वही हैं 
जिनके लिये 
समाज गौण है़

हमारे पास 
स्वयं का
 बरमूड़ा त्रिकोण है
घर
पर और डर 
इसी बीच 
समकोण है
इसके आगे
हम मौन हैं

हम अपनी गलती
मान नहीं सकते
आप क्या थे ?
हम जान नहीं सकते
हम नाम आपका बड़े
आदर और श्रद्धा
के साथ लेतें हैं 
हमको क्षमा क़रें 
जयकारा तक
दृषि्टकोण है

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