तोर नोहे प्रतिनिधि ह ग

तोर नोहे प्रतिनिधि ह ग
मोर नोहे प्रतिनिधि ह ग
नइ जानन काकर आवे प्रतिनिधि



प्रथम सुमरनि तोर नइये
प्रथम सुमरनि मोर नइये
नहीं तोर बस्ती, नहीं मोर बस्ती
पारा -मुहल्ला के सोर नइये
वो जा पहुंचे हे शिरडी

सरग निशैनी चढ़ते जाथे
अपन हाथ से फेर कहां खाथे
नवा- नवा मितवा मिल जाथे
फुरूर- फुरूर नित मजा उड़ाथे
जोरा म जुरगे ओकर मति

तोर- हमर मेर  बढ़- बढ़ बोले
बात- बात म मिश्री घोले
मुड़ डोलवा के मुड़ी डोले
भरे सदन म मुंह नइ खोले
कब चाहिस हमर ये उन्नति
- के. आर. मार्कण्डेय

Comments

Popular posts from this blog

श्री नकुल देव ढीढी का जन्मोत्सव

शिव भोला