चेलिक मन चेत करो

चेलिक मन चेत करो
दुनिया के दुःख हरो

जिंकर तन म लोहू नइये
वोमा आगी कइसे धरही
अतेक बछर ल सूते रिहिन
वो आगू अउ का करही
ऊंकर झन आस करो.

गाजर कस बाढ़े हे पीरा
घर-घर म बियापे करलाई
ठलहा घूमत हे टूरा अउ टूरी
चिंता हे बड़ दुःख दायी
इंकर बर सोच करो.

रीत पुरातन बइरी बनके
गली- गली म ठाढ़े हे
बंधना के डोरी- दांवा ह
रूंधना के तिर माढ़े हे
जेला फेकव दूर करो

दुनिया के तुम आंखी अव
सब देखव बने- बने
सब अंधरा मन के लाठी अव
रेंगव तुम तने- तने
बघवा मन फेट करो
- के. आर. मार्कण्डेय

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