जात - पात पूछै सब कोय

जात-पात पूछै, सब कोय .
हरि को भजे, न हरि का होय..

ये जग जिनके बाप का उनको लख प्रणाम .
अपना था वो रहा नहीं, हारे को हरि नाम ..
- के. आर. मार्कण्डेय

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