मेडम जी

मेडम जी ! तुम लाख करो चतुराई
हम हार नइ मानन
तोर फुले- फरे अमराई
हम रार नइ ठानन

तोला जतका हे अधिकार
नचा ले हमला
जेला तैं बचावत हस
बचा ले उनला
अतके हे बस
हम नाचे के पार नइ जानन

फुटबाल कस खेलत हस
तब बने खेल
हमर का हे
जिनगी लागे जइसे
संउहत जेल
बरतन ल हम
मांजत हन
तलवार नइ मांजन !
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