झुम के बहार आगे ,अमरइय्या म चले आबे

झुम के बहार आगे
अमरइय्या म चले आबे
दिल म करार आही
अमरइय्या म चले आबे

झुम के बहार आगे
अमरइय्या म चले आहूँ
दिल म करार आही
अमरइय्या म चले आहूँ

आमा के डारा म कोइली बोलत हे
भरे हे दरद बोली छाती छोलत हे
गम के बहार लागे
अमरइय्या म चले आबे

मउरे हे आमा तहुं  मउर सजाले रे
दिन घलो आये हे अपन बनाले रे
मन म विचार आगे
अमरइय्या म चले आबे

आना रे आना गोरी दुनिया बसाबो
पिंयर होगे धरती हमुं पिंवराबो
महर- महर महमागे
अमरइय्या म चले आबे

- के. आर. मार्कण्डेय

Comments

Popular posts from this blog

श्री नकुल देव ढीढी का जन्मोत्सव

शिव भोला