इहां ऊंचा- ऊंचा रिहिस दीवार , तुम तोड़ी डारे हो नकुल ढीढी
बजुर किंवड़िया ल
कोनो नइ खोलिन
इहां ऊंचा- ऊंचा रिहिस दीवाऱ
तुम तोड़ि डारे हो
नकुल ढीढी
कोन गुरू ह तोला रसदा बताइस
काकर चरण मनाय
कोन साहेब के बाना ल बांधे
दुनिया म नाम कमाय
तोर बिना नइ होय तिहार
तुम जोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
गाँव के गुरू ह तोला रसदा बताइन
गुरू घासी के चरण मनाय
बाबा साहेब के बाना ल बांधे तैं
दुनिया म नाम कमाय
तोर बिना नइ होय तिहार
तुम जोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
काकर दुःख तोला बागी बनाइस
काकर दुःख ह रोवाय
काकर पीरा ल ताकत बनाके
जग म रेंग्व अघुवाय
तोर रेंगना म करथन विचार
तुम छोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
हमर दुःख तोला बागी बनाइस
हमरे दुःख ह रोवाय
हमरे पीरा ल ताकत बनाके
तुम जग म रेंगेव अघुवाय
तोर रेंगना म करथन विचार
तुम छोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
- सा. के. आर. मार्कण्डेय
कोनो नइ खोलिन
इहां ऊंचा- ऊंचा रिहिस दीवाऱ
तुम तोड़ि डारे हो
नकुल ढीढी
कोन गुरू ह तोला रसदा बताइस
काकर चरण मनाय
कोन साहेब के बाना ल बांधे
दुनिया म नाम कमाय
तोर बिना नइ होय तिहार
तुम जोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
गाँव के गुरू ह तोला रसदा बताइन
गुरू घासी के चरण मनाय
बाबा साहेब के बाना ल बांधे तैं
दुनिया म नाम कमाय
तोर बिना नइ होय तिहार
तुम जोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
काकर दुःख तोला बागी बनाइस
काकर दुःख ह रोवाय
काकर पीरा ल ताकत बनाके
जग म रेंग्व अघुवाय
तोर रेंगना म करथन विचार
तुम छोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
हमर दुःख तोला बागी बनाइस
हमरे दुःख ह रोवाय
हमरे पीरा ल ताकत बनाके
तुम जग म रेंगेव अघुवाय
तोर रेंगना म करथन विचार
तुम छोड़ि डारे हो नकुल ढीढी
- सा. के. आर. मार्कण्डेय
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