तैं पियाये बबा दुनिया ल अमरित घोर के
तैं पियाये बबा दुनिया ल अमरित घोर के
टूटे- टाटे मनखे ल जोर के
जाति के रूंधना , पोथी के बंधना
माटी म मिलाये , तैं टोर के
एक अमरित केहे , संत हमर अव
साहेब केहेव , पंथ हमर अव
मन के मंदिर ल अंजोर के
एक अमरित केहे , बैर झन करिहौ
कोनो महाराजा के , पैर झन परिहौ
दाई- ददा , गुरू जन छोड़ के
एक अमरित घोरे , सत्य वचन बर
सत के सहारा केहे , सत्य भजन कर
झूठ के भरम- भूत छोर के
एक अमरित केहे , जग हे अनोखा ग
दिही रे बइरी तुम्हला , पग- पग धोखा ग
राखे रहि तोला बिल्होर के
एक अमरित हवे , तोर कहानी ह
रसदा देखावत हवे , तोर निशानी ह
काड़ी- कचरा ल अल्होर के
एक अमरित तोर , ज्ञान के धारा हे
बिना ज्ञान गुरू कहाँ , मुक्ति हमारा हे
ज्ञान किवड़िया ल खोल के
एक अमरित दिये , खेति- किसानी ल
नागर- बख्खर , जग के सियानी ल
धुर्रा चंदन होगे खोर के
- सा. के. आर. मार्कण्डेय
टूटे- टाटे मनखे ल जोर के
जाति के रूंधना , पोथी के बंधना
माटी म मिलाये , तैं टोर के
एक अमरित केहे , संत हमर अव
साहेब केहेव , पंथ हमर अव
मन के मंदिर ल अंजोर के
एक अमरित केहे , बैर झन करिहौ
कोनो महाराजा के , पैर झन परिहौ
दाई- ददा , गुरू जन छोड़ के
एक अमरित घोरे , सत्य वचन बर
सत के सहारा केहे , सत्य भजन कर
झूठ के भरम- भूत छोर के
एक अमरित केहे , जग हे अनोखा ग
दिही रे बइरी तुम्हला , पग- पग धोखा ग
राखे रहि तोला बिल्होर के
एक अमरित हवे , तोर कहानी ह
रसदा देखावत हवे , तोर निशानी ह
काड़ी- कचरा ल अल्होर के
एक अमरित तोर , ज्ञान के धारा हे
बिना ज्ञान गुरू कहाँ , मुक्ति हमारा हे
ज्ञान किवड़िया ल खोल के
एक अमरित दिये , खेति- किसानी ल
नागर- बख्खर , जग के सियानी ल
धुर्रा चंदन होगे खोर के
- सा. के. आर. मार्कण्डेय
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