तुम और हम

तिहार बर तुम, बिहार बर तुम
सुधार बर तुम, प्रचार बर तुम
पाये बर तुम, गाये बर तुम
हाँसे बर तुम, फाँसे बर तुम

तने बर तुम, बने बर तुम
गने बर तुम, हने बर तुम
खाना म तुम, थाना म तुम
आना म तुम, जाना म तुम

घर म तुम, दुवार म तुम
गलि म तुम, सरकार म तुम
लबार मे हम , किनार मे हम
खखार मे हम, उधार मे हम

सुने बर हम, गुने बर हम
रोये बर हम, खोये बर हम
नचाय बर तुम, नाचे बर हम
मताय बर तुम, माते बर हम

न दिरखा में, न आँट में
न घर में, न घाट में
न रस्ता में, न बाट में
न तन में, न ठाठ मे़

तुम मजा पावो, साझा सरकार में
हम मजा पावत हन तुंहर दुत्कार में

- के. आर. मार्कण्डेय

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