सुरूजमुखी तैं झुलना म झुले हस

सुरूजमुखी रे पींयर- पीयर फुले हस
कभू अाँखी म झूले , कभू झुलना म झूले हस

सुरुज के चेहरा म , चेहरा देखत हस
झन जाबे बइहा तैं , कहिके छेकत हस
कारी- कारी रतिहा ल, कब तैं कबूले हस

बड़ फजरे ल आथे बाई , तोर दीवाना
नैना लजाथे तोर , गाथे मीठ गाना
नयना लड़ाके गोई , दुनिया ल भूले हस

हरदी रंगाये तैंहा , तन पींयराये हस
सोला सिंगार कर , जग ल रिझाये हस
टूरी गवनाही सहीं , मड़वा म खुले हस
- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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