सतनाम धरम के अलग शान


सतनाम धरम के 
एक अलग शान हे
इहां देवता ल बढ़ के
इन्सान हे

गुरू घासीदास केहे हे इहां
नर सबले  बढ़े हे , तोर बइंहा
कमइय्या के लाखों अरमान हे

गुरू के बताये असल बात हे
इहां मनखे के बस एक जात हे
दस ठन बतइय्या ह अनजान हे

सेत- सुपेती हे, सरधा पूजा
सावा हे जिनगीअ्उ सादा धजा
आनी- बानी के न कोनो पुराण हे

पंथी- चौका म हे , ज्ञान के सार ह
सत संगत म हे सबके उबार ह
गुरू के देये, वरदान हे
- सा. के. आर. मार्कण्डेय


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