तोला कोन बन खोजंव चिरैंया


तोला कोन बन खोजंव चिरैंया
तैं उड़ गये देश- बिदेश
तोर शोर मिले न संदेश
तैं उड़ गये देश- बिदेश

रतिहा पहाथे , सुरूज चले आथे
लाली- गुलाली रंग साथ म
आरो लेवत मैं बन- बन भटकथंव
राजा सगर के बाग म
मोला सुरता म डारे लेश

घाट- घठौंदा , ये तरिया , ये नदिया
पुतकी परे हे मोर पांव म
घर - घर कहानी , हो गेंव दीवानी
चरचा हवे सरी गाँव म
लगथे करेजवा म ठेस

प्रेम दीवानी , मैं अनजानी
तोर मया म बंधागेंव
प्रेम हवे रे , नेम हवे रे
का छांदे तैं , बइरी छंदागेव
मोला काबर दिये तैं कलेष

-  सा. के. आर. मार्कण्डेय

Comments

Popular posts from this blog

श्री नकुल देव ढीढी का जन्मोत्सव

शिव भोला