मोला मैना बना देय मधुर बोलिया
तोर नैना बोलत रइथे
मोर छाती छोलत रइथे
करे कसराहील दीवानी बनगेंव
मनवा डोलत रइथे यार
आमा ल टोरेंव
टोरत रहिगेंव
तैं आहूं केहे
अगोरत रहिगेंव
रिक्शा मंगायेंव मैं
तीन गोड़िया
मोला मैना बना देय
मधुर बोलिया
रायपुर शहर मैं
घूम डरेंव
मया होथे मतौना
मैं झूम डरेंव
कइसे- कइसे लागत रिहिस
सिरतोन म
तोला देखत रेहेंव
घड़ी चौक म
मोला पूछत रिहिस हे
पुलूस वाला
मैं केहेंव आवत हे
मोर घरवाला
- सा. के. आर. मार्कण्डेय
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