टूरी अलबेली

चना के दार गोंदली
रांधत हे गुलैची

टूरी अलबेली
मारत हवे सीटी



महर- महर ममहागे
पारा मुहल्ला
काय ते बघारे
होवत हवे हल्ला


झिलमिल ,धानी - सातो
बइठे हे दुवारी म
लक्ष्मी अउ कुमकुम
खेलत हवे बारी म

दार- भात चुरगे
पुरगे कहानी
करिया हे राजा
अउ गोरिया हे रानी
- के. आर. मार्कण्डेय

Comments

Popular posts from this blog

श्री नकुल देव ढीढी का जन्मोत्सव

शिव भोला