अरे दगाबाज

अरे दगाबाज मोला
गुन- गुन रोवाई डारे
सुरता म तोर, मोर
झड़ी कस आँसू ढरे

पवन झकोरा कस
जिनगी म आये
आँखी म सपना के
झुलना झुलायेे
निंदरी उड़ाके
तैं बने अनबोलना
जग अंधियार करे..

- के. आर. मार्कण्डेय

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