सतनाम धर्म
सतनाम अर्थात साँचा नाम , सत्यनाम . स्मरण मात्र से परम संतुष्टि मिलता है . जिसे जान लेने से संसार के समस्त अबोधगम्य रहस्य खुल जाता है . मिथ्या विचार , अन्याय , अत्याचार , भेदभाव , सद् विचार , सदाचरण, कदाचरण को जानना सहज होकर समता की स्थापना के लिए आप चल पड़ते हैं . और सतनाम धर्म का उदय होता है . यह मेरा जाना हुआ है . तुम भी जानो . जानो तब मानो . मनखे - मनखे एक समान . करें सभी कल्याण . यही धर्म है . सतनाम धर्म . धर्म चार प्रकार का होता है- दान , शील , तप और भाव . चारो में भाव श्रेष्ठ है ़हमारा भाव श्रेष्ठ है - मनखे - मनखे एक है . इसके बिना दान , शील, तप का कुछ अर्थ नहीं है . धर्म को जिव्हा से नहीं , जीवन से व्यक्त होना चाहिए .
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