नौकरी लगादे जतन करके

लइका ल पढ़ाये
जइसे मन भरके
वोला नौकरी लगादे
जतन करके

मुँह ल उतारे वो हा
अली- गली घूमत हे
कतका हे बोली कहिके
संगी मन ला पूछत हे
वोकर संसो मेटादे
काहीं करके

तन सुखियार ओकर
दुधरू जवानी हे
वो ही तो असल
हमर धन अउ दोगानी हे
ओकर जिनगी बनादे
थोर बाहीं धरके

आज के दयालु साहेब
संदेशा भेजाये हे
बिहने जरूर तोला
बंगला बलाये हे
पान- फूल चढ़ादे
तहुं बाढ़ी करके

- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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