कतेक सताबे गोरी मोला रे

कतेक सताबे गोरी मोला रे
कतेक सताबे गोरी मोला
एक दिन मना लुहूँ तोला रे
नइते छूट जाही रटहा ये चोला रे

ऐति बलाथंव त वोति चले जाथस
हाँसि- हाँसि , मुच- मुच तैं इतराथस
काहीं लागे नहीं बाई तोला रे

दवा- दारु लहे नहीं , अइसे तोर काम हे
मोर जिनगानी बही , बस तोर नाम हे
मारे- मारे फिरत हवंव , धरे तोर डोला रे

तैंहाँ कभू माने नहीं , तोला मनावंव का
छाती ल चीर के , तोला देखावंव का
कते नस म फंसे , तोर झूला रे
- सा. के. आर. मार्कण्डेय






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