गुरू घासी तोर बानी अमरित

गुरू घासी तोर बानी
अमरित हे
हाका पार के बलाथे
सरी दुनिया ल

सतनाम के अधार
तुम जग ल दियो
जीव जगत ल तुम
अभय करेव
चेचकार के रेंगायेव
सरी दुनिया ल

कोनो ल तुम छोटे- बड़े
कभू नइ मानेव
सबे ल अपन सम
मनखे जानेव
ललकार के बतायेव
सरी दुनिया ल

दया- मया एके
राखेव तुम मन में
बैर के बइरी बंधना
टोरेव एक क्षिण में
दुलार के बलायेव
सरी दुनिया ल
- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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