तोला साबर धरे ल नइ आवे मीत

तोला साबर धरे ल नइ आवे मीत
धीरे धीरे
तोला माटी कोड़े ल नइ आवे मीत
धीरे धीरे
चल साबर धरे ल सीख धीरे धीरे
चल माटी कोड़े ल सीख धीरे धीरे
सीखे सीखे मन मजा उड़ावे
दुनिया ल डारिन जीत धीरे धीरे

पांव ल अपन धरती म राखव
बल भर भुजा उठावव
दुनो नयन के जोति साधव
माटी म मिल जावव
माटी ल बना ले मीत धीरे धीरे

दुनिया म इहां  लाखों बुता हे
हवे लाखों तरा के सियानी
तोर करम म झन लिखना तैं
अड़हा के जिनगानी
ये हा नोहे भड़ौनी गीत धीरे धीरे
- सा. के. आर. मार्कण्डेय




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