होरी आगे दनादन कसो नंगारा ल

होरी आगे राजू लाल
दनादन कसो नंगारा ल
ये गली के भाटो ल
वो गली के सारा ल
ये टूरी गड़ौनी ल
बड़े भाटो के बहिनी ल
रंग डारो लाले- लाल
दनादन कसो नंगारा ल

सराररा , सराररा
सरा ररा हे कबीर के
लाली- गुलाली म रंग डारो
उतरे झन रंगअबीर के
लगे रहे पूरा साल

बड़ मन भावन ,सबे सुहावन
चिखला माटी तिहार ऐ
खेलत रंग म मया होरी
कबीरा खड़े बजार हे
किड़- किड़ बाजे ताल

बृन्दाबन के टूरा बने हन
धरे हवन पिचकारी ल
राधा के छिनी आधा नइये
सुनबो ओकरो गारी ल
गारी म हवे कमाल

- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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