मिनी माता के जागव लहरिया मन

मिनी माता के जागव लहरिया मन
जम्मो पसिया पियैया छत्तीसगढ़िहा मन

बड़ा मुश्किल से राज नवा पाये हन
पुरखा के अपन हम चिन्हा बनाये हन
इहाँ करव ग जतन खरतरिहा मन

सुमत अउ सुनता म कर लेव सियानी ल
दुनिया म राखव अपन नाम निशानी ल
अन- धन उपजावो नगरिहा मन

नदी - नरवा म भाई बांध बनाबो ग
बनी भूती , रोजी- रोटी सब ल देवाबो ग
अब हरियाही रे भाई परिया मन

ज्ञान के मशाल धर के , गढ़बोन भाग ल
भूख अउ गरीबी के , नाथबोन नाग ल
नवा जोत जगाबोन भाई कुरिया मन

- सा . के. आर. मार्कण्डेय

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