रात दिन हर्रो- हर्रो

रात दिन हर्रो - हर्रो
कब तैं मया करबे
पेरौसी असन जाने मोला
काबर तैं दया करबे
क्या अर्थ हुआ ?
जीवन के भाग- दौड़
जीवन संगिनी
बंदिनी सी जीने काे बाध्य है
अपने तिरस्कार को व्यक्त कैसे करे ?
वह गा ये , तो रुदन है
आप सुने , शेयर करे, कमेंटभी

- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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