गुरू घासी दास जी

गुरू घासी दास जी
तोर चरणों में हमर विनती हे
झन टूटे आस जी
तोरअपनो के अतके अरजी हे

गर म अपन हम
सबे ल लगाथन
संग म अपन हम
सबे ल रेंगाथन
ऩइ मिले रास जी

दुःख ल अपन हम
सब ल देखाथन
मन के दरद घलो
हँस के बताथन
बन जथे फाँस जी

सत म केहे ते हम
सते गोठियाथन
पुतकी असन झार
झूठ ल भगाथन
इहि हवे खास जी

- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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