श्रीदेवी तोर सुरता

श्रीदेवी तोर सुरता भुलाये नहीं या
काल घलो मेटही ,  मेटाये नहीं या

छुनुर- छुनुर , तोर पैरी बाजत हे
रेंगना म तोर , सरी धरती नाचत हे
बिजली कडक , गिर जाये नहीं या

नैन कटारी , तोर छाती बेधत हे
जइसे आगी ह ककरो , करेजा लेसत हे
सदा भभकत रही , बुझाय नहीं या

तोर जाना ह , अइसे गवाही हरे
तोर लइक नइ रेहेन , बने करे
फेर अइसे तो कोनो ह , जाय नहीं या

- सा. के. आर. मार्कण्डेय छत्तीसगढ़

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