गाड़ी घोड़ा बिना रेंगना रेंगाय नहीं

गाड़ी घोड़ा बिना रेंगना रेंगाय नहीं रे
आज दंगर- दंगर मनखे कहुँ जाय नहीं रे
जमाना सुखियार
दंगर- दंगर मनखे कहुं जाय नहीं रे

दिखे नहीं उही झूल- झूल के रेंगना
मोटर चढ़- चढ़ , आवत हे पहुना
मोटर म घलो समाय नहीं रे

बिन जाने चिन्हे , मिल जाथे ठक ले
अंगठा देखावत , खड़े हे सड़क में
कहाँ आना- जाना बताय नहीं रे

भरे जवानी म , नव गे हे कनिहा
पाके- पाके चूंदी , रंगावत हे गियाँ
पोते हे केरवछ लुकाय नहीं रे

रेंगना असल हे , भुलाना नहीं
किंजर आबे दुनिया , लजाना नहीं
पुरखा के सुरता भुलाय नहीं रे
- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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