बनिहार संग मया
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बनिहार संग मया झन बढ़ा ना गोरिया
दुई चार दिन म , हताश हो जबेदुःख पाबे थोरको , निराश हो जबे
बनिहार संग मया झन बढ़ा ना गोरिया
लड़की-
मया बाढ़ि गे हे राजा , बढ़हाहूं काला रे
दिल हार गे हवंव , दूसर लाहूं काला रे
दुःख आवे हजार , घबराहूं काला रे
मया बाढ़ि गे हे राजा , बढ़हाहूं काला रे
लड़का
बनी- भूति वाले संग , का सुख पाबे तैं
हीरा जनम गोई , बिरथा गंवाबे तैं
रोवत- रोवत चऊमास हो जबे
बनिहार संग....
लड़की
कोन बनिहार नोहे , मोला तैं बताना रे
राज- पाट होही तेकर , का हे ठिकाना रे
मन तो गंवागे , अऊ गंवाहूं काला रे
मया बाढ़ि गे........
लड़का
अइसे तोर गोठ लागे , मोरो मन के बात हे
लड़की
कइसे समझावंव तोला , मन के बरात हे
लड़का
सपनाये बर करे , मोला मतवाला वो
लड़की
मया बाढ़ि गे हे बढ़हाहूं काला रे
- सा. के. आर. मार्कण्डेय
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