नकुल ढीढी तोर बाना ल कोन बांधही

नकुल ढीढी तोर बाना ल कोन बांधही
मुरहा- पोटरा बर सीना ल कोन तानही

सबके घर म बड़े- बड़े काम हे
दुनिया देखाये बर ऊँचा- ऊँचा नाम हे
हमर पीरा लुकाना ल कोन जानही

सबके मति म इहां बड़े- बड़े ज्ञान हे
जतर- कतर रेंगे अनते धियान हे
तोर कहना के दाना ल कोन जानही

कोन ल कहन , तुम करोग सियानी ल
कोन ल धरावन हम तुंहर निशानी ल
तोर बदले जमाना ल कोन जानही

तुंहर सहारा सब जग अगुवागे
चिमटी असन पा मनखे भुलागे
तुंहर दागे निशाना ल कोन जानही

- सा. के. आर. मार्कण्डेय

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