हे नकुल देव ढीढी
हे ञक़ुल देव ढीढी गुरू घासीदास जय़ंत्री के ज॒न्मदाता छुआछूत से मुक्तिं अन्याय से लड़ने की शक्ति देने वाले भारत भाग्य विधाता जय हो तुम्हारा जय हो ़ सरल, गरल और सच्चा विचार तुम्हारा समानता क़ा उज्॒जवल धारा बंधुता कां अवगाहन प्यारा न्यायपूर्ण व्यवहार करने उन सबको ललकारा कोटि- कोटि धिक्कारा जो देते थे हमको कारा जुल्मियों को किये किनारा ज॒य़ हो तुम्हारा हे नकुल देव ढीढी जय हो तुम्हारा ़़़़ के ़ अार ़ मार्कण्डेय