छलना हे गुरू छलना हे दुनिया म हमर बर छलना हे सोच- समझ के चलना हे गुरू ये संसार बदलना हे संगी हमर नोहे , साथी हमर नोहे दिया हमर नोहे , बाती हमर नोहे दिन हमर नोहे , राती हमर नोहे आती हमर नोहे , जाती हमर नोहे सोच- समझ के चलना हे सुकुवा हमर नोहे , चंदा हमर नोहे रोजी हमर नोहे , धंधा हमर नोहे बाजू हमर नोहे , कंधा हमर नोहे मोती हमर नोहे , बूंदा हमर नोहे सोच- समझ के चलना हे माटी हमर नोहे , ढेला हमर नोहे मेला हमर नोहे , खेला हमर नोहे पानी हमर नोहे , रेला हमर नोहे हटरी हमर नोहे , ठेला हमर नोहे सोच- समझ के चलना हे - सा. के. आर. मार्कण्डेय