बूझो- बूझो गोरखनाथ अमरित बानी जी
बूझो-बूझो गोरखनाथ अमरित बानी जी कइसे मनखे ल बने हे , कुकुर के जिनगानी जी धोवा के धोती पहिरे मोती , सेज सुपेती म सोथे सोन के थारी म , हब- हब खाथे ऐति भूखन म लाखो रोथे बड़ा करुण कहानी जी बड़े- बड़े मनखे सपना देखिन , मर के देवता होगे धनी हे धरती जागो कहिगे , गरीबी जनता भोगे मांगे मिले नहीं ग पानी जी कुकुर पोसइय्या बड़े कहाइन , मनखे ल दुर्राइन घुर-घुर के इहां जीने वाला , तभो ल नइ गुर्राइन नइये मुँह म बानी जी - सा. के. आर. मार्कण्डेय
Shri Nakul Dev DhiDi was the Great Man who arranged & celebrated the first birth ceremony (pratham jayanti samaroh) of Guru Ghasidas in 1938
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